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लेखनी कविता प्रतियोगिता-17-Jul-2022

सावन की छटा 
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आज से सावन का महीना लग गया है।प्रकृति ने हरी चादर ओढ़ ली है ,चारो तरफ हरियाली दिखायी पड़ रही है ।आसमान पर काली घटाये घिर रही हैं ।चारो तरफ बारिस की झड़ी लगी हुई है ।बागों में झूले पड़ गये हैं और पपीहा पी कहाँ की धुन में मस्त हो रही है और कोयल भी शोर मचाये जा रही है ।ऐसे वातावरण में प्रस्तुत है ......।।
     दस दोहे सावन के 
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1-सावन में है कर रही..गोरी बैठि सिगार ।
मेरे वे फिर आ रहे..लेकर पूरा प्यार ।|

2-हरे भरे सब खेत हैं..पुरवा चले मतंग ।
मस्त हवा के जोर से..टूटै मोरा अंग ।|

3-सावन में लागी झड़ी..टप टप टपके बूँद ।
पावस की इस रात में..पियु को लूँगी मूँद ।

4-पानी बरसा झूम के..डूब गये सब खेत ।
मन मोरा ऐसे जले..जैसे तप्ती रेत  ।|

5-आकर गोरी ने कहा..सुन ले मेरे मीत ।
सावन में सूना लगे..तेरे बिन हर गीत ।|

6-पिया संग सावन मिला..मन में उठी तरंग ।
लिपटे दोनों इस तरह..भीगे सारे अंग ।|

7-दिन भर जमकर भीगना..सावन की   बरसात                                              अंग अंग फड़कन लगे..पिया मिले जब रात

8-सावन से अच्छी नहीं..कोई भी ऋतु और 
ठंडी बूदें जब गिरे.. नाच उठे मन मोर ।|

9-सावन से अच्छी रही..पूस घनेरी रात ।
मेरे वे घर पर रहे ..करत रहे दो बात ||

10-अजब घिरी काली घटा..नाँच उठा मन मोर .
सावन की इस घड़ी में..गले लगा चित चोर ||
         खालिद हुसैन सिद्दीकी
लखनऊ उ. प्र 
नोट.. आज दिनांक 17-7-2022 की लेखनी प्रतियोगिता में शामिल करने हेतु

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